मन माछी उड़ी उड़ी खोजे घाव
राजा जइसे खोजे दांव
सब काट डरे धरम रुखुवा
कहाँ ले पाबे मया के छांव
न तिरथ करे न गए मंदिर
दूनो गोड़ संचरगे हांथी पांव
पर ल रोवत देख हंसे
मनखे चिन्ह चिन्ह करे नीयाव
नजर गड़े कोटना जूठा
बइठ बरेंडी करे काँव काँव
हपटे गिरे ल उठाये नहीँ
करे उदीम काला गिरांव
तोर चाल बड़ा तिर्छन्डि रे
फेंके पासा शकुनी के दांव
रचे उदिम आनी बानी
“बादल”सरबस कइसे खांव।
–चोवा राम वर्मा बादल